🎬 Google Veo 3 ने दी इंडिया में दस्तक: अब रीयल-टाइम में बनेंगे बोलती-चलती फिल्में!

Google ने अपने एडवांस्ड एआई वीडियो जनरेशन टूल Veo 3 को अब आधिकारिक तौर पर भारत में लॉन्च कर दिया है। कुछ हफ्ते पहले Google I/O 2025 में इसकी पहली झलक मिली थी, और अब यह दुनिया भर के उन देशों में उपलब्ध है जहां Gemini App काम करता है — यानी अब भारत के क्रिएटर्स भी इसका फायदा उठा सकते हैं।

क्या है Veo 3 और क्यों है ये खास?

Veo 3 एक जनरेटिव एआई मॉडल है, जो केवल Text Prompt की मदद से 8-सेकंड तक के वीडियो बना सकता है। ये वीडियो सिर्फ विजुअल्स तक सीमित नहीं रहते, बल्कि इसमें आपको मिलता है:

  • बैकग्राउंड म्यूज़िक
  • साउंड इफेक्ट्स
  • सिंथेटिक डायलॉग्स (AI-generated speech)
  • और कैमरा कंट्रोल जैसे फीचर्स

अब क्रिएटर्स कुछ सिंपल टेक्स्ट लिखकर कुछ ही मिनटों में हाई-क्वालिटी शॉर्ट वीडियो तैयार कर सकते हैं – वो भी बिना किसी एडिटिंग स्किल्स के।

भारत में कैसे मिलेगा एक्सेस?

Veo 3 को भारत में Google AI Pro सब्सक्रिप्शन के ज़रिए एक्सेस किया जा सकता है। Gemini App के जरिए यूज़र्स इस टूल को यूज़ कर सकेंगे और हर महीने सीमित संख्या में वीडियो जनरेट कर पाएंगे।

Google का कहना है कि जल्द ही इसे और भी ज़्यादा देशों और प्लान्स में शामिल किया जाएगा।

Credit: Google

क्रिएटर्स और फिल्ममेकर्स के लिए एक नया दौर

Veo 3 उन क्रिएटिव लोगों के लिए बनाया गया है जो अपनी सोच और कहानियों को वीडियो के ज़रिए ज़िंदगी देना चाहते हैं — चाहे वो यूट्यूब क्रिएटर्स हों या इंडी फिल्ममेकर्स। इसके साथ ही Google ने ‘Flow’ नाम की एक नई एआई सुविधा भी पेश की है, जो Veo 3 और Imagen जैसे टूल्स को जोड़कर वीडियो बनाने की पूरी प्रोसेस को तेज़, स्मार्ट और आसान बना देती है।

Flow में यूज़र:
  • अपने खुद के कैरेक्टर्स और सीन बना सकते हैं
  • टेक्स्ट टू इमेज फीचर से विज़ुअल एलिमेंट्स क्रिएट कर सकते हैं
  • और उन्हीं एलिमेंट्स को अलग-अलग शॉट्स में बार-बार इस्तेमाल कर सकते हैं

सिक्योरिटी और ट्रस्ट के लिए गूगल की तैयारी

Google ने स्पष्ट किया है कि सभी AI-जनरेटेड वीडियो में एक Visible Watermark होगा, और इसके साथ ही एक SynthID डिजिटल वॉटरमार्क भी रहेगा — ताकि यह साबित किया जा सके कि वीडियो AI से बना है।

इसके अलावा Google लगातार रेड टीमिंग, टेस्टिंग और पॉलिसी मॉनिटरिंग कर रहा है ताकि गलत या हानिकारक कंटेंट को रोका जा सके।

कहां से सीख सकते हैं?

Google ने Flow TV नाम से एक खास फीचर भी जोड़ा है, जहां यूज़र्स दुनिया भर के बनाए गए AI वीडियो देख सकते हैं — साथ ही यह भी जान सकते हैं कि वो वीडियो किन प्रॉम्प्ट्स और तकनीकों से बनाए गए।

आख़िरी बात

Veo 3 की एंट्री भारत जैसे क्रिएटिव देश के लिए बड़ा मौका है। अब किसी भी क्रिएटर, यूट्यूबर, सोशल मीडिया मैनेजर या फिल्ममेकर को वीडियो बनाने के लिए भारी भरकम टीम या बजट की ज़रूरत नहीं पड़ेगी। बस टेक्स्ट टाइप करो… और कुछ ही मिनट में मिल जाएगा एक इम्पैक्टफुल वीडियो। Google Veo 3 अब इंडिया में लॉन्च हो चुका है – और ये आने वाले वक्त में AI filmmaking की दुनिया को पूरी तरह बदलने वाला है।

मिलिए Pranjali Awasthi से: 18 साल की उम्र में दो AI स्टार्टअप बनाने वाली भारतीय जीनियस!

अगर आपको लगता है कि उम्र सिर्फ एक नंबर है, खासकर टेक्नोलॉजी की दुनिया में, तो प्रांजलि अवस्थी (Pranjali Awasthi) की स्टोरी आपको यही बात साबित कर देगी। यह भारत में जन्मीं और अब अमेरिका में रहने वाली कोडर (प्रोग्रामर) हैं, जिन्होंने बहुत कम उम्र में ही कमाल कर दिखाया है।

छोटी उम्र में बड़ा कमाल

प्रांजलि ने सिर्फ सात साल की उम्र में कोडिंग सीखना शुरू कर दिया था। सोचिए, जब हम बच्चे खेल-कूद में लगे होते हैं, तब प्रांजलि कोड लिख रही थीं! 13 साल की उम्र तक तो उन्होंने बड़े-बड़े रिसर्च लैब में इंटर्नशिप भी कर ली थी। और कमाल की बात ये है कि जब वो सिर्फ 16 साल की थीं, तब उन्होंने अपनी खुद की एक AI (आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस) कंपनी शुरू कर दी, जिसका नाम है – Delv.AI।

Delv.AI: रिसर्च को आसान बनाने का सफर

2022 की जनवरी में प्रांजलि ने मियामी में Delv.AI की नींव रखी। उनका सीधा-सा टारगेट था कि रिसर्च करना किसी के लिए भी मुश्किल न हो। Delv.AI असल में AI पर आधारित एक ऐसा टूल है, जो रिसर्चर्स को पढ़ाई-लिखाई से जुड़ी सामग्री, PDF और कई दूसरी जगहों से Information निकालने और उसे Summerize करने का काम करता है। इसकी ख़ासियत ये है कि ये एक साथ कई Documents में सर्च कर सकता है, आपकी क्लाउड ड्राइव से जुड़ जाता है और जानकारी को CSV फॉर्मेट में सेव भी कर सकता है।

Delv.AI ने कमाल की स्पीड से लोगों का अटेन्शन ग्रैब किया। इसे Backend Capital और Village Global जैसे इन्वेस्टर्स से अराउंड $450,000 (मतलब लगभग 3.89 करोड़ रुपये) मिले। अक्टूबर 2023 तक तो, इसकी वैल्यूएशन लगभग 100 करोड़ रुपये टच कर गई थी! रिसर्चर्स को यह बहुत पसंद आया क्योंकि यह उनके घंटों का काम मिनटों में कर देता है, जिससे Repetitive (बार-बार होने वाले) R&D के काम में 75% तक की बचत होती है।

Image Credit: https://x.com/raidingAI/status/1927180107627540969/photo/1

भारत से अमेरिका तक का सफर

प्रांजलि का जन्म India में हुआ था। जब वह 11 साल की थीं, तब उनका फॅमिली फ्लोरिडा, अमेरिका (USA) शिफ्ट हो गयी । वहां उनके पिता, जो खुद एक कंप्यूटर इंजीनियर हैं, ने Coding के प्रति उनके प्यार को और बढ़ावा दिया। स्कूल में उन्होंने कंप्यूटर साइंस और कॉम्पिटिटिव मैथ्स में खूब दिलचस्पी ली और जल्द ही फ्लोरिडा इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी के न्यूरल डायनामिक्स ऑफ कंट्रोल लैब में इंटर्नशिप करने लगीं। वहां उन्होंने छोटी उम्र से ही मशीन लर्निंग प्रोजेक्ट्स पर काम किया और EEG डेटा का उपयोग करके ADHD (अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर) के टाइप्स को अलग करने में भी मदद की।

अब Dash के साथ AI को दे रही नया रूप

अब प्रांजलि 18 साल की हैं और अमेरिका में जॉर्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई कर रही हैं। लेकिन वह यहीं नहीं रुकने वालीं। उन्होंने अपनी अगली बड़ी चीज़ पर काम करना शुरू कर दिया है: Dash। वह इसे “ChatGPT with hands” कहती हैं।

सैन फ्रांसिस्को में, प्रांजलि अपने को-फाउंडर्स ध्रुव रूंगटा और हर्षा के साथ मिलकर Dash पर पूरे समय काम कर रही हैं। ये दोनों भी युवा डेवलपर्स हैं जिनसे उनकी मुलाकात जॉर्जिया टेक में हुई थी। ध्रुव ने पहले एक एडटेक स्टार्टअप बनाया है, जबकि हर्षा ने एक डेटिंग ऐप बनाया है।

Delv.AI से अलग, Dash एक ओपन-एक्सेस AI असिस्टेंट है जो सिर्फ चैट नहीं करता, बल्कि असल में एक्शन भी ले सकता है – यानी सिर्फ बातचीत नहीं, बल्कि ऑटोमेशन! हाल ही में Dash (usedash.ai) को Product Hunt पर जबरदस्त रिस्पॉन्स मिला और यह नंबर वन पर पहुंच गया। इस मौके पर प्रांजलि ने लिंक्डइन के ज़रिए अपने ऑफिशियल Discord सर्वर की लॉन्चिंग का ऐलान किया और इस नई शुरुआत की खुशी ज़ाहिर की।

Y Combinator में Dash का चुनाव

प्रांजलि ने अपनी लिंक्डइन पोस्ट में शेयर किया कि Dash (YC S25) को दुनिया के टॉप स्टार्टअप एक्सेलेरेटर Y Combinator में शामिल किया गया है। किसी भी शुरुआती स्टार्टअप के लिए यह एक बहुत ही बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। Dash की टीम का मकसद है – ऐसा इंटेलिजेंट AI तैयार करना जो यूज़र के वर्क स्टाइल को सही मायनों में समझ सके और उसी हिसाब से काम को आसान बनाए।

चाहे वह आपके ईमेल को ऑटोमैटिकली छांटना हो, मीटिंग्स शेड्यूल करना हो, या रिपोर्ट्स बनाना हो, Dash काम को आसान बना रहा है – उन सभी छोटे-मोटे कामों को खत्म कर रहा है जिनसे “नॉलेज वर्कर्स” को जूझना पड़ता है।

प्रभाव डालने के लिए इंतजार क्यों करें?

प्रांजलि की यात्रा सिर्फ Delv.AI से शुरू नहीं हुई थी। उन्होंने Swartz Center for Computational Neuroscience में इंटर्नशिप की है और हैकथॉन में वर्कशॉप भी चलाई हैं। उन्होंने क्रिएटिव डिस्ट्रक्शन लैब के अपरेंटिस प्रोग्राम को भी पूरा किया है, जिसमें उन्होंने AI, कृषि और बहुत कुछ में गहराई से जानकारी हासिल की।

उनकी कहानी इस बात का सबूत है कि प्रभाव डालने के लिए आपको इंतजार करने की जरूरत नहीं है। जैसा कि वह खुद कहती हैं, Delv.AI को “पेवॉल के पीछे जाकर आपको तुरंत प्रासंगिक जानकारी दिलाने” के लिए बनाया गया था – और अब, Dash के साथ, उनका लक्ष्य AI को और भी उपयोगी बनाना है। प्रांजलि अवस्थी जैसी युवा प्रतिभाएं दिखा रही हैं कि लगन और सही अवसर के साथ, कोई भी उम्र की परवाह किए बिना बड़ी सफलता हासिल कर सकता है!


Robotaxi का ट्रायल शुरू – Tesla की ये कार खुद चलेगी, बिना ड्राइवर!

टेस्ला (Tesla) ने ऑस्टिन में अपनी ड्राइवरलेस मॉडल Y रोबोटैक्सी (Robotaxi) चलानी शुरू की है। ये सिर्फ़ हेडलाइन नहीं है, बल्कि टेस्ला ऑटोपायलट और AI-पावर्ड ट्रांसपोर्टेशन के लिए एक बड़ा और असल दुनिया का प्रयोग है। टेस्ला का कहना है कि उनकी सेल्फ-ड्राइविंग गाड़ियाँ (Self-Driving Cars) सिर्फ़ कैमरे और AI का इस्तेमाल करके अपने आप चल सकती हैं। जबकि दूसरी ऑटोमैटिक गाड़ियाँ कैमरे के साथ-साथ लिडार (Lidar) और रडार (Radar) जैसी महंगी टेक्नोलॉजी भी इस्तेमाल करती हैं। टेस्ला FSD (Full Self-Driving) साबित करना चाहता है कि उसका AI बिना इन महंगी टेक्नोलॉजी के भी शहरों की मुश्किल सड़कों पर सुरक्षित तरीके से गाड़ी चलाना (Safe Driving) सीख सकता है। ये सिर्फ़ कोई दिखावा नहीं, बल्कि ऑटोनॉमस व्हीकल टेक्नोलॉजी (Autonomous Vehicle Technology) का एक बड़ा टेस्ट है जिसे इंडस्ट्री में कई लोग अभी भी जोखिम भरा मानते हैं।

1. सिर्फ़ सिमुलेटर में नहीं, असली सड़कों पर टेस्टिंग

दूसरी कंपनियाँ अपनी गाड़ियों को बंद टेस्टिंग एरिया या कंप्यूटर सिमुलेशन में टेस्ट करती हैं। लेकिन टेस्ला अपनी रोबोटैक्सी सर्विसेज़ को सीधे ऑस्टिन की असली सड़कों पर चला रहा है। हाँ, गाड़ी में एक “सेफ्टी मॉनिटर” ज़रूर बैठा होता है और दूर से भी लोग उसे कंट्रोल कर सकते हैं। ये असली सड़कें ही AI कार टेस्टिंग (AI Car Testing) के लिए उनका सबसे बड़ा इम्तिहान हैं।

2. सिर्फ़ कैमरे का कमाल, लिडार या रडार नहीं

टेस्ला ने अपनी सेल्फ-ड्राइविंग सिस्टम (Self-Driving System) के लिए पूरी तरह से कैमरे और न्यूरल नेटवर्क-आधारित AI पर भरोसा किया है। उन्होंने जानबूझकर लिडार या रडार जैसी टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल नहीं किया। इससे उनकी टेस्ला टेक्नोलॉजी (Tesla Technology) सस्ती हो जाती है और इसे बड़े पैमाने पर फैलाना आसान हो जाता है। लेकिन हाँ, चकाचौंध (तेज़ धूप), कोहरे या बारिश में इससे कुछ दिक्कतें भी आ सकती हैं, जो ऑटोनॉमस ड्राइविंग चैलेंज (Autonomous Driving Challenges) का हिस्सा हैं।

Model Y. Cybercab | Credit: Tesla

3. सुरक्षित लेकिन तेज़ी से बढ़ रहा है कदम

अभी टेस्ला ने क़रीब 10 गाड़ियों से ही काम शुरू किया है। वो तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन सावधानी भी बरत रहे हैं। उन्होंने लोकल अधिकारियों के साथ मिलकर काम किया है और इमरजेंसी टीमों को ट्रेनिंग (Emergency Response Training) भी दी है। फिर भी, कुछ अफसर चाहते हैं कि जब तक ऑस्टिन में नई और सख्त ऑटोनॉमस व्हीकल रूल्स (Autonomous Vehicle Rules) नहीं आ जाते, तब तक इसे रोक दिया जाए।

4. मुश्किल हालात में भी भरोसेमंद होना

पिछली कुछ रिपोर्ट्स बताती हैं कि टेस्ला का FSD (फुल सेल्फ-ड्राइविंग) सिस्टम कभी-कभी मुश्किल हालात में फंस जाता है, जैसे लाल बत्ती पर, गलत लेन में या अचानक कोई चीज़ सामने आने पर। अब ऑस्टिन में हर छोटी-मोटी दिक्कत उन्हें रियल-वर्ल्ड डेटा (Real-World Data) से सीखने का एक मौका देगी—या फिर ड्राइवरलेस कार सुरक्षा (Driverless Car Safety) के लिए खतरे का निशान भी दिखा सकती है।

5. हर राइड से मिल रहा ढेर सारा डेटा

टेस्ला की 20 लाख से ज़्यादा गाड़ियाँ सड़कों पर चल रही हैं, और उनसे लगातार नया ड्राइविंग डेटा उनके AI सिस्टम को ट्रेनिंग (AI System Training) के लिए मिल रहा है। ऑस्टिन में लॉन्च होने से उन्हें और भी अलग-अलग तरह का डेटा मिलेगा, जैसे शांत मोहल्लों से लेकर भीड़-भाड़ वाली सड़कों तक का अनुभव। इससे उनका AI और भी तेज़ी से सीख पाएगा (AI Learning Process)

6. ऑस्टिन से परे इसका क्या मतलब है?

यह पायलट प्रोजेक्ट टेस्ला का “मोबिलिटी-एज़-ए-सर्विस” (Mobility-as-a-Service) प्रोवाइडर बनने का पहला क़दम है। अगर ये कामयाब हो जाता है और मान लो, 1,000 गाड़ियाँ चलने लगती हैं, तो इससे कंपनी के लिए फ्यूचर रेवेन्यू मॉडल्स (Future Revenue Models) और कमाई के नए रास्ते खुलेंगे। लेकिन इसकी सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि उनकी AI कार तकनीक (AI Car Technology) कितनी अच्छी है और सरकार से कितनी नियामक स्वीकृति (Regulatory Approval) मिलती है।

आखिर में

ऑस्टिन में जो हो रहा है, वो सिर्फ़ एक नई सर्विस शुरू करने से कहीं ज़्यादा है। ये टेस्ला की बोल्ड सेल्फ-ड्राइविंग टेक (Tesla Bold Self-Driving Tech) का असली दुनिया में किया गया एक बड़ा टेस्ट है। ये एक तरह का हाई-स्टेक एक्सपेरिमेंट है — जो या तो एलन मस्क के कैमरे-केवल ऑटोनॉमी (Elon Musk Camera-Only Autonomy) के तरीके को सही साबित करेगा या फिर उन कमियों को सामने लाएगा जिन्हें अभी ठीक करने की ज़रूरत है। इसके नतीजों से सिर्फ़ टेस्ला का भविष्य (Tesla Future) ही नहीं, बल्कि यह भी तय होगा कि आने वाले सालों में शहर, सरकारें और बाकी ऑटो इंडस्ट्री ड्राइवरलेस गाड़ियों (Driverless Cars in India) को कैसे देखेंगी।

Solo Unicorns का ज़माना: कैसे AI अकेले फाउंडर्स को बना रहा है करोड़ों की कंपनी के मालिक

कुछ साल पहले तक एक अरब डॉलर की कंपनी बनाने के लिए बड़ी टीम, ढेर सारा पैसा और टाइम चाहिए होता था। लेकिन अब AI ने गेम ही बदल दिया है। अब एक अकेला इंसान, सही आइडिया और कुछ टूल्स की मदद से, खुद की कंपनी को लाखों-करोड़ों तक पहुंचा सकता है। ऐसे फाउंडर्स को अब कहा जा रहा है – सोलो यूनिकॉर्न । अकेले इंसान की बनाई ऐसी कंपनी, जिसकी वैल्यू एक दिन $1 Billion तक पहुंच सकती है। आपको ये सपना लग रहा है? लेकिन ये अब हकीकत बन चुका है।

एक उदाहरण है – Maor Shlomo, सिर्फ 31 साल का डेवलपर जिसने Base44 नाम की कंपनी को बिना किसी फंडिंग के सिर्फ 6 महीनों में खड़ा किया, और फिर उसे Wix को $80 million (cash) में बेच दिया।

base44
BASE44

Base44: एक साइड प्रोजेक्ट से करोड़ों की डील तक

Base44 की शुरुआत एक साइड प्रोजेक्ट की तरह हुई थी। लेकिन धीरे-धीरे ये “वाइब कोडिंग” (Vibe Coding) की दुनिया में सबसे फेमस स्टोरीज़ में शामिल हो गई। Vibe coding यानी बिना कोडिंग सीखे, सिर्फ Normal Language में कहकर Apps बनाना। न कोड चाहिए, न टीम। सिर्फ आइडिया और AI टूल्स

Base44 एक ऐसा प्लेटफॉर्म था जहाँ कोई भी इंसान, टेक्निकल हो या नॉन-टेक, सिर्फ टेक्स्ट प्रॉम्प्ट (Prompt) देकर अपना पूरा ऐप (App) बना सकता था।
चाहिए – बैकएंड, डेटाबेस, ऑथेंटिकेशन, एनालिटिक्स, मैप्स, ईमेल और यहाँ तक कि SMS – सब मिल जाता है। और ये सब होता है AI Agents और Large Language Models (LLMs) की ताकत से।

6 महीनों में Base44 के 2.5 लाख यूज़र्स हो गए, और सिर्फ मई महीने में इसने $189,000 की कमाई की – वो भी बिना किसी Investment के। Maor ने अपनी पूरी journey LinkedIn और X पर पब्लिक में शेयर की।

AI ने बदल दिया गेम: अब हर कोई फाउंडर (Founder) बन सकता है

Base44 एक बड़ी टीम या VC फंडिंग पर डिपेंड नहीं था। यह बूूटस्ट्रैप्ड (Bootstrapped) और लीन था—सिर्फ़ आठ एम्प्लॉइज़, जिनमें से सभी को अब डील के हिस्से के रूप में $25 मिलियन का रिटेंशन बोनस मिलेगा। लेकिन इसे चलाने वाला इंजन? AI! मिली। लेकिन असली driver था – AI

AI दर्जनों इंजीनियर्स का काम कर रहा है—कोड लिखना, इन्फ्रास्ट्रक्चर मैनेज करना, परफॉरमेंस ऑप्टिमाइज़ करना—तो मॉडर्न फाउंडर टीम्स को स्केल करने या पैसे जलाने के बजाय विज़न और वेलोसिटी पर फोकस कर सकता है।

Maor का कहना है कि उन्होंने बिना फंडिंग (VC funding) बहुत कुछ कर लिया था, लेकिन अब Wix की पार्टनरशिप से वो और तेजी से बढ़ने को तैयार हैं।

wIXxBASE44
Credit: Wix

Wix ने Base44 क्यों खरीदा?

Wix, जो वेबसाइट बनाने के लिए दुनिया भर में एक पॉपुलर नो-कोड प्लेटफॉर्म (No-code Website Builder) है, उसे Base44 में कुछ बड़ा दिखा—एक फ्यूचर जहाँ लोग Apps बोलकर बना सकें।
Wix अपनी AI आर्म को फुल-ब्लोन ऐप क्रिएशन तक एक्सपैंड कर रहा है ।

Wix के CEO Avishai Abrahami ने इस Acquisition को कंपनी के मिशन में एक बड़ा कदम बताया, जिसका मकसद लोगों के ऑनलाइन क्रिएट करने के तरीके को फिर से इन्वेंट करना है। उनका मानना है कि Base44 जैसे प्रोडक्ट्स पूरे सॉफ्टवेयर कैटेगरी को रिप्लेस कर सकते हैं।

Side Projects से लेकर Solo Unicorns तक

Base44 अभी एक बिलियन-डॉलर कंपनी नहीं बनी है, और Maor पूरी तरह अकेले भी नहीं थे, लेकिन ये Story साबित करती है कि आज AI की वजह से आइडिया से एक्सेक्यूशन तक का गैप बहुत छोटा हो गया है।

अब किसी के पास अगर Vision है और सही Tools हैं, तो वो अकेले भी कुछ बड़ा बना सकता है।

तो, अगला सोलो यूनिकॉर्न पूरी तरह अकेला क्यों नहीं हो सकता? शायद अभी नहीं… लेकिन अब हम काफ़ी करीब हैं।

हम अभी वहाँ तक नहीं पहुंचे—लेकिन हम करीब आ रहे हैं। AI प्रोडक्ट्स को बिना बड़ी टीम्स या फंडिंग के लॉन्च करना, स्केल करना और बेचना रेडिकली आसान बना रहा है। इन्फ्रास्ट्रक्चर मैच्योर हो रहा है। टूल्स स्मार्ट हो रहे हैं। और फाउंडर्स? वे अब सिर्फ़ बिल्डर नहीं हैं—वे विज़नरी (Visionaries ) और स्टोरीटेलर (Storytellers ) हैं।

निष्कर्ष

सोलो यूनिकॉर्न के युग में आपका स्वागत है। और कौन जानता है? आप ही शायद अपने बेडरूम से अगला वाला बना रहे हों!

क्या आप भी अपना AI-पावर्ड स्टार्टअप शुरू करने की सोच रहे हैं?

Source: Wix Acquires Base44

Vibe Coding क्या है?

सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट की तेज़ बदलती दुनिया में, एक नया शब्द आजकल चर्चा में है—वाइब कोडिंग (Vibe Coding). लेकिन ये आखिर है क्या?
वाइब कोडिंग एक नया तरीका है सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट का, जिसमें इंसान सिर्फ Normal भाषा में Problem समझाता है और LLM (Large Language Model) जैसे AI टूल उस डिटेल्स को समझकर पूरा कोड जेनेरेट कर देता है। इसमें डेवलपर को Manual Coding नहीं करनी होती, बल्कि वो सिर्फ AI को गाइड करता है, टेस्ट करता है और जरूरत पड़ने पर Code को Refine करता है। इसे 2025 में OpenAI के Andrej Karpathy ने पॉपुलर बनाया।

मज़ेदार फ्लो से कोडिंग

सख्त, किताबी कोडिंग अप्रोच से हटकर, वाइब कोडिंग फ्लेक्सिबल होती है. इसमें आप प्रॉब्लम को महसूस करते हुए आगे बढ़ते हैं, इंस्पिरेशन को लीड करने देते हैं, और ऐसा कुछ बनाते हैं जो न सिर्फ काम करता है बल्कि सही भी लगता है. चाहे आप एक बढ़िया UI, एक फ़ंकी एनिमेशन (Animation), या एक एक्सपेरिमेंटल ऐप (App) पर काम कर रहे हों—वाइब कोडिंग ही वो तरीका है जिससे कई इंडिपेंडेंट डेवलपर्स और क्रिएटिव कोडर्स ऐसी चीज़ें बना रहे हैं जो सबसे अलग दिखती हैं.

यहाँ टॉप 6 वाइब कोडिंग टूल्स की लिस्ट है:

1. लवेबल (Lovable)

लवेबल (Lovable) आपको सिर्फ़ नैचरल लैंग्वेज का इस्तेमाल करके अपने आइडियाज़ को काम करने वाले UI और बैकएंड लॉजिक में बदलने देता है. ये उन क्रिएटर्स के लिए परफेक्ट है जो बिना कोड छुए फटाफट रिज़ल्ट चाहते हैं.

Lovable
Credit: Lovable

2. बोल्ट.न्यू (Bolt.new)

बोल्ट (Bolt) के साथ, अपने ऐप को डिस्क्राइब करें और उसे मिनटों में बनते देखें—कोई कोडिंग की ज़रूरत नहीं. ये MVPs, डेमो और इंटरनल टूल्स तुरंत बनाने के लिए एक बेहतरीन प्लेटफॉर्म है.

Bolt
Credit: Bolt

3. रेपलिट (Replit)

रेपलिट (Replit) ऐप बनाने को एक बातचीत जैसा महसूस कराता है—बस अपना आइडिया बताएं, और AI कोड से लेकर क्लाउड तक सब कुछ सेट कर देगा. कोई इंस्टॉलेशन नहीं, कोई सेटअप नहीं—बस अपना ब्राउज़र खोलें और क्रिएट करना शुरू करें, अपने फोन से भी.

Replit
Credit: Replit

4. कर्सर (Cursor)

कर्सर (Cursor) एक कोड एडिटर है जो आपसे चैट करता है और आपकी गाइडेंस के साथ पूरे प्रोजेक्ट्स को एडिट करता है. ये आपके रेपो (repository) को गहराई से समझता है और रिफैक्टर या ज़ीरो से बनाने में मदद करता है.

Cursor
Credit: Cursor

5. विंडसर्फ (Windsurf)

विंडसर्फ (Windsurf) एक स्मार्ट, डेवलपर-फर्स्ट कोड एडिटर है जो आपको AI के साथ तेज़ी से काम करने में मदद करता है, जो आपके पूरे प्रोजेक्ट को समझता है. ये आपको फ़ाइलों में एडिट करने, टर्मिनल कमांड चलाने और चेंजेस को तुरंत प्रीव्यू करने देता है—सब कुछ एक स्मूथ फ्लो में.

Windsurf
Credit: Windsurf

कोड के ज़रिए खुद को एक्सप्रेस करना

अपने मूल रूप में, वाइब कोडिंग (Vibe Coding) बहुत पर्सनल है. आप सिर्फ़ प्रॉब्लम्स सॉल्व नहीं कर रहे—आप खुद को एक्सप्रेस कर रहे हैं. आपका कोड आपकी वाइब को दिखाता है—आपकी फीलिंग्स, आपका स्टाइल, और यहाँ तक कि बैकग्राउंड में बजने वाला म्यूज़िक भी.

रूल्स जानें, फिर उन्हें तोड़ें

Vibe Coding एक नया और आसान तरीका है सॉफ्टवेयर बनाने का, जहाँ कोडिंग के लिए आपको सिर्फ अपनी बात साधारण भाषा में कहनी होती है, और AI यानी LLM टूल्स खुद-ब-खुद कोड बना देते हैं। ये तरीका नए लोगों के लिए बेहद फायदेमंद है क्योंकि इसमें तकनीकी भाषा की जरूरत कम होती है।
बेशक, वाइब कोडिंग (Vibe Coding) के लिए अभी भी सॉलिड फंडामेंटल्स की ज़रूरत होती है. अगर आपको बेसिक्स नहीं पता तो आप इम्प्रोवाइज़ नहीं कर सकते. लेकिन एक बार जब आपके पास स्किल्स आ जाती हैं, तो यह अपनी इंट्यूइशन पर भरोसा करने और इस प्रोसेस के साथ मज़ा करने के बारे में है.


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