Naukri.com के फाउंडर Sanjeev Bikhchandani की इंस्पायरिंग जर्नी – सिर्फ ₹2000 यूनिकॉर्न तक का सफर!

अगर आपको लगता है कि एक बड़ा Startup शुरू करने के लिए करोड़ों चाहिए, तो Sanjeev Bikhchandani की Story सुन लीजिए। सिर्फ ₹2000 से शुरू हुआ उनका सफर आज करोड़ों की कंपनियों और investments तक पहुंच चुका है। Naukri.com से लेकर Zomato तक, Sanjeev ने साबित कर दिया कि सही सोच और स्ट्रेटेजी से बड़ा एम्पायर खड़ा किया जा सकता है

Educatekaro ने ये ज़रूरी बातें खोजी हैं:

  1. IIM से जॉब छोड़कर स्टार्टअप की तरफ! संजीव ने 1989 में IIM Ahmedabad से पढ़ाई पूरी की और सिर्फ 18 महीने में अपनी हाई-पेइंग जॉब छोड़ दी। क्यों? क्योंकि उन्हें चाहिए था अपना बिज़नेस, अपनी टर्म्स पर।
  2. Job Market में दिखा मौका: उन्होंने देखा कि बिज़नेस मैगजीन्स में जॉब एड्स सबसे ज्यादा पढ़े जाते हैं।
    बस यहीं से आईडिया आया इंडिया का पहला ऑनलाइन Job पोर्टल बनाने का, जिसे हम आज Naukri.com के नाम से जानते हैं।
  3. सिर्फ ₹2000 से लांच किया Naukri.com: 1997 में Sanjeev ने अपने बचत के ₹2000 लगाकर Naukri.com शुरू किया।
  4. ग्रोथ स्ट्रेटेजी – पहले यूज़र्स, फिर पैसा: शुरुआत में उन्होंने जॉब लिस्टिंग के पैसे नहीं लिए। मकसद था – ट्रैफिक और ट्रस्ट बनाना। जब वेबसाइट फेमस हो गई, तब Ad और प्रीमियम सर्विसेज से रेवेन्यू शुरू किया।
  5. लीन और स्मार्ट ऑपरेशन : Sanjeev ने कभी फालतू खर्चों पर भरोसा नहीं किया। कभी फैंसी ऑफिसेस पर ध्यान नहीं दिया और ना ही ओवर-हायरिंग की, उन्होंने हमेशा कॉस्ट-सेविंग और इनोवेशन पर फोकस किया।
  6. इन्वेस्टमेंट लेने में भी दिखाई समझदारी: फंडिंग के लिए उन्होंने ऐसे इन्वेस्टर्स को चुना जो उनकी विज़न से मैच करते थे — मतलब सिर्फ पैसे से नहीं, Long-term सोच से पार्टनरशिप ।
  7. Zomato और PolicyBazaar जैसे जाइंट में किया इन्वेस्टमेंट : Naukri की सक्सेस के बाद उन्होंने Info Edge के ज़रिए कई बड़ी कंपनियों में Invest किया — Zomato, PolicyBazaar, आदि, जिनकी आज की वैल्यूएशन हजारों करोड़ में है।
  8. Customer की बात को दी importance: Sanjeev हमेशा कहते हैं – “Customer ही सिखाता है क्या सही है।” उन्होंने Yahoo ग्रुप जैसी सिंपल तकनीक से Sales फीडबैक कलेक्ट करना शुरू किया — जो बाद में पावरफुल प्रोडक्ट इनसाइट्स में बदला।
  9. Entrepreneur बनने का असली lesson: उनकी जर्नी बताती है कि मार्केट की सही समझ सही पार्टनर का चुनाव और कस्टमर-फर्स्ट एप्रोच ही किसी स्टार्टअप को लंबे समय तक सक्सेसफुल बना सकती है।

16,000 करोड़ की कंपनी ज़ीरो पर कैसे पहुंची? Micromax के फाउंडर ने बताई अंदर की बात!

क्या आपने कभी गौर किया है कि वो Micromax मोबाइल, जो कभी हर गली-नुक्कड़ पर लोगों के हाथ में दिखता था, अब अचानक कहां गायब हो गया? एक वक्त था जब Micromax इंडिया का नंबर 1 मोबाइल ब्रांड हुआ करता था, और आज वो सिर्फ एक भूली-बिसरी कहानी बनकर रह गया है। लेकिन इस गिरावट के पीछे की कहानी उतनी ही दिलचस्प और शॉकिंग है, जितनी इसकी कभी की कामयाबी थी।

Podcast ‘Figuring Out with Raj Shamani‘ में Rahul Sharma ने अपनी पूरी Journey शेयर की है, जिसमें Startup Advice, Personal Growth Insights और Honest बातें शामिल हैं। आइए जानते हैं उनके सफर की चुनिंदा बातें।

1. बचपन का सपना

Rahul Sharma बचपन से ही sports और कुछ अलग करने की चाह में डूबे हुए थे। उन्होंने बताया कि कैसे वो Conventional Job की जगह business करने का सपना देखते थे और उनके दोस्त भी उसी तरह की सोच रखते थे, जिसने उनका Mindset बदला।

2. Micromax की शुरुआत: SAP से स्मार्टफोन तक

Micromax की शुरुआत एक software training company के तौर पर हुई थी। लेकिन उन्होंने वक्त रहते Direction बदली और Dual SIM और Long Battery जैसे देसी Innovation वाले Phones के साथ धमाकेदार एंट्री ली। उस वक्त ऐसा करना Bold मूव था, और वही बना सक्सेस की पहली सीढ़ी।

3. ₹12,000 करोड़ की कमाई और अक्षय कुमार की ब्रांडिंग

Micromax ने अपने गोल्डन टाइम एग्रेसिव मार्केटिंग कर ₹12,000 करोड़ तक की कमाई की। Akshay Kumar जैसे ब्रांड A mbassador और देसी customers को टारगेट करती ads ने Micromax को Relatable Aspirational बना दिया।

4. सप्लाई चैन टूटते ही शुरू हुआ डाउनफॉल

जब दूसरी कंपनियां China में Production करने लगीं, Micromax को Component Supply में दिक्कत आने लगी।
इसका सीधा असर पड़ा Innovation पर — और Micromax उस Speed से Evolve नहीं कर पाया जैसा Market Demand कर रहा था।

5. प्राइस वॉर और ब्रांड लॉयल्टी की हार

Chinese ब्रांड्स ने Ultra-low price Phones लॉन्च किए — और शुरू हो गया एक Price वॉर
Consumers का Loyalty लेवल भी गिरा, और Micromax Marketing में अपनी पुरानी पकड़ खो बैठा।
Rahul बताते हैं कि, Market का Mood बदलते ही Brand को भी खुद को बदलना पड़ता है, वरना Game हाथ से निकल जाता है।

6. Rahul Sharma की लर्निंग और न्यू वेन्चर्स

आज Rahul Sharma Electronics और AI Space में नए Ventures एक्स्प्लोर कर रहे हैं।
उनकी सबसे बड़ी सीख?

Business में सर्वाइव वही करता है जो बदलना जानता है। लर्निंग कभी बंद नहीं होनी चाहिए।


EducateKaro इनसाइट्स:

  • Startup Advice: Product से ज़्यादा ज़रूरी है सही लोग और सही Vision
  • Marketing Matters: Branding सिर्फ Glamor नहीं, ये आपकी Visibility तय करती है
  • Be Adaptable: Market तेजी से बदलता है — Entrepreneur को पानी जैसा flexible बनना पड़ता है
  • Failure ≠ End: गिरना जरूरी है, लेकिन उससे सीखना और आगे बढ़ना उससे भी ज़्यादा जरूरी
The Story Of Hotmail, Rich Lifestyle, Microsoft, Apple & Elon Musk -Sabeer Bhatia | Raj Shamani

1.4 बिलियन डॉलर की कंपनी ऐसे बनी! Spenser Skates ने कैसे Amplitude खड़ा किया?

कभी सोचा है कि एक फेल हो चुका Startup आपको अरबों की कंपनी तक कैसे पहुंचा सकता है? Spenser Skates की कहानी कुछ ऐसी ही है, जिन्होंने Amplitude नाम की $1.4 Billion की प्रोडक्ट एनालिटिक्स कंपनी बनाई — और वो भी अपनी पहली कंपनी के फेल होने के बाद।

उनका सफर सिर्फ एक AI प्रोडक्ट या टेक स्टार्टअप की कहानी नहीं है, बल्कि एक ऐसा रोडमैप है जिससे हर एस्पाइरिंग फाउंडर कुछ सीख सकता है।

स्टार्टअप फेल हुआ… और वहीं से आया Billion-Dollar आइडिया!

Spenser ने पहले Sonalight नाम का एक Voice-to-text स्टार्टअप बनाया था, जो फेल हो गया। लेकिन इसी दौरान उन्होंने नोटिस किया कि वो अपने यूज़र्स को ठीक से समझ नहीं पा रहे थे। और यहीं से मिला Amplitude का आइडिया, एक ऐसा एनालिटिक्स टूल जो यह बताए कि यूजर आपके प्रॉडक्ट को कैसे यूज़ कर रहा है और कहाँ डिसकनेक्ट हो रहा है।

पहले कस्टमर की सुनो

Spenser कहते हैं — “फाउंडर्स अक्सर प्रोडक्ट में बिजी रहते हैं, पर असली बात भूल जाते हैं जो होता है कस्टमर्स को सुनना।”
अर्ली फीडबैक ने ही उन्हें सही डायरेक्शन दी। उनका मंत्रा था:

“पहले पूछो यूज़र क्या चाहता है, फिर बनाओ प्रोडक्ट — उल्टा नहीं।”

यूज़र्स से शुरुवाती दिनों से चार्ज करो

Spenser ने सीखा कि शुरू में ही प्रोडक्ट के लिए पैसे मांगो। “पहला पेइंग कस्टमर ही सबसे बड़ा वेलिडेशन होता है”, उन्होंने कहा। बहुत से फाउंडर्स प्राइसिंग से डरते हैं, लेकिन Amplitude की सक्सेस में अर्ली मॉनेटाइज़शन ने बड़ा रोल निभाया।

कॉम्पिटिटर्स से आगे कैसे निकले?

प्रोडक्ट एनालिटिक्स का मार्किट पहले से भीड़भाड़ वाला था — Mixpanel, Google Analytics जैसे बड़े नाम पहले से थे। लेकिन Amplitude ने फोकस किया डीपर यूजर इनसाइट्स और product-led ग्रोथ पर। रिजल्ट ? धीरे-धीरे उन्होंने अपनी अलग पहचान बना ली।

स्केल करते वक़्त कल्चर बचाना सबसे बड़ी चैलेंज

कंपनी ग्रो होते ही सबसे टफ होता है इंटरनल कल्चर को बचाना। Spenser ने बताया कि कैसे उन्होंने लीडरशिप processes बनाए, जिससे team छोटी हो या बड़ी — वैल्यू और एक्सेक्युशन दोनों कन्सिस्टेन्स रहें। स्टार्टअप मैट्रिक्स से निकलकर सस्टेनेबल कंपनी बनाना खुद में एक बड़ा ट्रांजीशन है।


🔎 EducateKaro इनसाइट्स:

  • Fail होने से डरना नहीं, बल्कि उससे सीखो और पिवोट करो
  • AI फ़ीचर या प्रोडक्ट से पहले, यूजर की नीड को समझो
  • Early फ़ीडबैक से बेहतर कोई टीचर नहीं होता
  • पहले दिन से Monetization सोचो, फ्री मॉडल हमेशा स्केलेबल नहीं होता
  • Startup से स्केल तक, टीम और कल्चर को साथ ले जाना जरूरी है
How I Built A $1.4B Software Giant Called AmplitudeㅣSpenser Skates, Amplitude

क्यों आज ही से Podcast सुनना शुरू कर देना चाहिए? जानिए 7 ज़बरदस्त फायदे!

आजकल पॉडकास्ट सुनना सिर्फ ट्रेंड नहीं, एक स्मार्ट लाइफ हैक बन चुका है। चाहे सफर में हों या सोने से पहले थोड़ा रिलैक्स करना हो – बस इयरफोन लगाइए और दुनिया की बेस्ट बातों से जुड़ जाइए।

यहां हैं 7 ऐसे रीज़न जो आपको आज ही से Podcast सुनने की आदत डालने पर मजबूर कर देंगे!

1. पॉडकास्ट – आपके नए दोस्त!

Podcast की सबसे बड़ी खासियत? कहीं भी, कभी भी सुन सकते हैं – ड्राइविंग के दौरान, घर की सफाई करते हुए या Gym जाने का सिर्फ बहाना बनाते हुए
YouTube, Spotify, Apple Podcasts या SoundCloud – हर जगह ये फ्री में अवेलेबल हैं।

2. बिना पढ़े, स्मार्ट बन जाइए!

Podcast आपको वो नॉलेज देते हैं जो आमतौर पर किताबों में होती है, लेकिन बिना पढ़े! एक्सपर्ट्स की बातें सुनते-सुनते आप बन सकते हैं उस रूम के सबसे Smart इंसान – और किसी को पता भी नहीं चलेगा।

3. स्टोरीज के साथ लर्निंग का मज़ा

Podcast बोरिंग नहीं होते। इनका सबसे मज़ेदार हिस्सा है इनकी Storytelling. रियल लाइफ Stories, Crime Thrillers या Startup Journeys – जो भी हो, वो माइंड में बस जाती हैं।

जैसे The Moth – जहां लोग अपनी सच्ची कहानियां शेयर करते हैं, जो आपको emotional भी करेंगी और इंस्पायर्ड भी।

4. अपनी पॉडकास्ट फॅमिली बनती है

Podcasts सिर्फ सुनने की चीज नहीं – ये एक Mini Community बनाते हैं। लोग एपीसोड्स Discuss करते हैं, Reels शेयर करते हैं और Common Interests पर Connect करते हैं।

Mental health वाले Podcasts में तो अकसर Supportive कम्युनिटीज़ भी बन जाती हैं, जो एक दूसरे को समझती हैं।

5. दुनिया को देखने का नया नजरिया

पॉडकास्ट आपको ऐसी आवाज़ें और ideas से मिलवाते हैं, जो आपकी डेली लाइफ में शायद न हों।
Code Switch जैसे shows आपको Race, Identity और Social Dynamics पर नए नजरिये से सोचने पर मजबूर करते हैं।

6. पॉडकास्ट = दिमाग का आराम

स्ट्रेस से भरी दुनिया में, कामिंग पोडकास्टस एक ब्रेन मसाज की तरह काम करते हैं। स्टडीज कहती हैं कि ये Anxiety कम करने में मदद करते हैं।

On Being और The Happiness Lab जैसे shows तो एक्चुअल गाइडेड रिलैक्सेशन भी कराते हैं – बिना कहीं जाए, खुद का ध्यान रखें।

7. पॉडकास्ट होस्ट्स आपके दोस्त जैसे लगते हैं

जब आप Regularly कोई Podcast सुनते हैं, तो होस्ट से कनेक्शन बन हो जाता है – जैसे वो आपके लिए ही बोल रहे हों।
Brené Brown या Tim Ferriss जैसे Hosts इतनी Real बात करते हैं कि लगता है कोई दोस्त आपकी कहानी सुना रहा है।

क्यों पॉडकास्ट हैं नए ज़माने का सुपर हैक

पॉडकास्ट आज के टाइम का सबसे अंडररेटेड टूल है – सीखिए, समझिए, सोचिए और कनेक्ट हो जाइए – वो भी मल्टीटास्किंग करते हुए!
तो अगली बार जब आप काम करते हुए Bored हों, बस हेडफोन्स लगाइए और प्ले दबाइए – पॉडकास्ट आपकी ज़िंदगी में वैल्यू जोड़ने के लिए तैयार हैं!

TED Talks जो 2025 में आपकी लाइफ बदल सकते हैं

अगर आप 2025 को अपना सबसे बेहतरीन साल बनाना चाहते हैं तो सिर्फ Resolution बनाना काफी नहीं — Action लेना पड़ेगा, और वो भी सही दिशा में! यहां हम लाए हैं 5 ऐसे दमदार TED Talks, जो आपको Inspire करेंगे, सोच बदलेंगे और आपके अंदर छुपे Best Version को बाहर निकालेंगे।

1. Sheryl Lee Ralph: खुद पर भरोसा करना सीखिए – 3 आसान स्टेप्स में!

Broadway से लेकर टीवी तक, Sheryl की जर्नी इंस्पिरेशन से भरी है। इस Energetic टॉक में वो बताती हैं कि कैसे सेल्फ – डाउट से लड़ते हुए उन्होंने खुद पर यकीन करना सीखा।
सेल्फ-कॉन्फिडेंस चाहिए? तो ये Talk है आपके लिए।


2. Krista Tippett: जिंदगी को गहराई से समझने के 3 तरीके

On Being Podcast की होस्ट Krista बताती हैं कि आज की दुनिया में इंसान होने का क्या मतलब है।
वो 3 ऐसी Practices शेयर करती हैं जो आपके Mindset और कनेक्शन दोनों को मजबूत करेंगी।
Wisdom और ह्यूमैनिटी से भरी ये टॉक एक बार ज़रूर देखें।


3. Emmanuel Acho: गोल्स को भूल जाइए, असली ग्रोथ यहां है!

Ex-NFL player Emmanuel कहते हैं कि सिर्फ goals बनाना काफी नहीं होता। वो बताते हैं कि हमें किस पर Focus करना चाहिए अगर हमें वाकई Excel करना है।
Goal Setting Myth को तोड़ने वाली ये टॉक आपको नए नजरिए से सोचने पर मजबूर कर देगी।


4. Wendy Suzuki: Anxiety को बनाइए अपना सुपरपॉवर!

Anxiety से परेशान रहते हैं? Neuroscientist Wendy Suzuki के पास है इसका प्रैक्टिकल सोलुशन ।
ब्रीथिंग और मूवमेंट जैसे छोटे हैबिट्स से आप ना सिर्फ काम रह सकते हैं, बल्कि क्रिएटिविटी और प्रोडक्टिविटी भी बढ़ा सकते हैं।


5. Dr. Becky Kennedy: पेरेंटिंग में सबसे ज़रूरी है कनेक्शन

पेरेंटिंग में गुस्सा आना नार्मल है, लेकिन गिल्ट के साथ कैसे डील करें? Dr. Becky आपको सिखाती हैं कि कैसे अपने बच्चों से दोबारा स्ट्रॉन्ग बॉन्ड बनाया जा सकता है — और यही बात हर Relationship पर लागू होती है।
Parenting Hacks चाहिए? ये टॉक मिस न करें।

इन TED Talks में है वो सबकुछ जो आपको चाहिए – कॉन्फिडेंस, क्लैरिटी, कम्पैशन और कंट्रोल . 2025 को अपना टांसफोर्मशन ईयर बनाना है? तो आज ही से सुनना शुरू कीजिए इन ज़बरदस्त टॉक्स को । हेडफोन्स लगाइए, इंस्पिरेशन अब्सॉर्ब कीजिए – और बन जाइए खुद के बेस्ट वर्शन!

Books vs Podcasts: कौन आपको बनाएगा ज़्यादा स्मार्ट?

आजकल हर किसी के मन में एक सवाल ज़रूर घूमता है – किताब पढ़ें या Podcast सुनें? कुछ लोग कहते हैं कि Podcast सुनना बस टाइमपास है, तो कुछ का मानना है कि Books पढ़ना Outdated और Boring हो गया है। लेकिन असली फ़ायदा किसमें है? कौन-सा तरीका आपकी सोच बदल सकता है, और लाइफ में असली फर्क ला सकता है? आइए जानें Books vs Podcast की इस लड़ाई में कौन है असली Winner, और कौन देगा आपको ज़्यादा नॉलेज, clarity और मोटिवेशन!

बुक पढ़ने के फायदे

1. मेन्टल स्टिमुलेशन बढ़ता है

जब आप कोई अच्छी किताब पढ़ते हैं, तो दिमाग एक्टिव होता है और सोचने का तरीका ज़्यादा पॉजिटिव बनता है। एक पुरानी कहावत है, “कन्फ्यूज्ड हों तो किताब खोलिए” और यह आज भी उतनी ही सच्ची लगती है।

2. नॉलेज बढ़ती है

बुक्स आपको किसी भी टॉपिक का एक्सपर्ट बना सकती हैं। एक-एक चैप्टर पढ़ते हुए आप वोकैबुलरी इम्प्रूव करते हैं, और धीरे-धीरे आपकी Thinking Sharp हो जाती है।
कम्युनिकेशन स्किल्स भी बेहतर होती हैं और लोग आपकी राय को इम्पोर्टेंस देने लगते हैं।

3. मेमोरी तेज होती है

किताबों की कहानियों और आइडियाज को कनेक्ट करते हुए आपका दिमाग स्ट्रांग बनता है। मेमोरी तेज़ होती है, और आप चीजें जल्दी याद रखने लगते हैं।

Educatekaro-book vs podcast

4. एनालिटिकल सोच में मदद

रीडिंग आपकी क्रिटिकल थिंकिंग स्किल्स को पॉलिश करता है। अलग-अलग पर्सपेक्टिव जानकर आप किसी भी बात को गहराई तक समझ पाते हैं और किसी भी टॉपिक पर ज़्यादा कॉन्फिडेंटली बोल सकते हैं।

5. कंसंट्रेशन इम्प्रूव होता है

जब आप किसी इंटरेस्टिंग बुक में डूब जाते हैं, तो आपका फोकस अपने आप बढ़ता है। ये प्रैक्टिस बाद में आपकी बाकी लाइफ में भी कंसंट्रेशन बढ़ाने में मदद करती है।

पॉडकास्ट सुनने के फायदे

1. कहीं से भी एक्सेसिबल

पॉडकास्ट किसी भी टाइम सुन सकते हैं — सफर में, Gym में या Office टास्क के बीच भी। मल्टीटास्किंग के लिए बेस्ट ऑप्शन है!
बस ईरफ़ोन लगाइए और एक्सपर्ट टॉक्स सुनना शुरू कर दीजिए। चाहे आप शहर में हों या छोटे टाउन में — आजकल हर जगह लोग Podcasts सुन रहे हैं। Spotify जैसी एप्प्स मूड के हिसाब से पॉडकास्ट रेकमेंड भी करती हैं।

2. लिसनिंग स्किल्स इम्प्रूव होती हैं

पॉडकास्ट सुनना आपकी लिसनिंग एबिलिटी को भी स्ट्रांग करता है। जब आप ध्यान से सुनना सीखते हैं, तो दूसरों की बात बेहतर समझ पाते हैं और खुद भी बेहतर जवाब दे पाते हैं।

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Photo by Andrea Piacquadio: https://www.pexels.com/photo/woman-sitting-on-couch-3768158

4. एक्सपर्ट ज्ञान, वो भी फ्री!

पॉडकास्ट में आपको टॉप एक्सपर्ट्स का एक्सपीरियंस और रियल इनसाइट्स मिलते हैं — वो भी बिना पैसे दिए।
बिज़नेस पॉडकास्ट , मोटिवेशनल शोज, या टेक इंटरव्यूज , सब कुछ एक क्लिक में!

5. कम्युनिटी वाली फीलिंग

पॉडकास्ट सुनते वक्त आपको ऐसा फील होता है कि आप किसी खास community का हिस्सा हैं। सेम इंटरेस्ट वाले लोग कनेक्ट करते हैं, डिसकस करते हैं और एक शेयर्ड जर्नी का हिस्सा बनते हैं।

6. पर्सनल ग्रोथ में मदद

पॉडकास्ट आपकी सोच को बड़ा बनाते हैं। न्यू आइडियाज, अलग नजरिया, और डीप टॉपिक्स — ये सब मिलकर आपकी सेल्फ-ग्रोथ को नेक्स्ट लेवल पर ले जाते हैं।

आखिर में

सच कहें तो… दोनों ज़बरदस्त हैं! अगर आपके पास time है और आप डीप डाइव करना चाहते हैं तो किताबें बढ़िया हैं।
लेकिन अगर आप On-the-go सीखना चाहते हैं, तो पॉडकास्ट मॉडर्न सॉलूशन है, तो क्यों न दोनों को मिलाकर अपनाएं? किताबों से डेप्थ मिलेगी और पॉडकास्ट से डेली लर्निंग बूस्ट होगी। Win-win सिचुएशन!

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